29.2 What Is Limit, Tolerance, Allowance And Fit In Hindi

Limits-Tolerance-Allowances-And-Fits

What Is Fit

एक दुसरे में आवस्यकतानुसार दो assmble होने वाले parts के मेल को fit कहते है. या दो मिलने वाले parts के आपसी संबंध को fit कहते है.

Types Of Fit - I.S.I के अनुसार fit तीन प्रकार की होती है.
1. Clearance Fit
2. Interference Fit
3. Transition Fit

1. Clearance Fit

जब shaft hole के अंदर स्वतंत्र रूप से घूम सके, उसे किसी भी प्रकार की कोई रुकावट न हो उसे clearance fit कहते है. इसमें shaft का size hole की अपेक्षा कम रखा जाता है. ताकि पार्ट्स को fit करने के बाद कुछ clearance बना रहे. Runing fit भी इसी वर्ग में आती है.

What Is Clearance

Hole और shaft के size के बीच के अंतर को clearance कहते है. इसमें hole का साइज shaft के साइज का size से बड़ा रखा जाता है. Clearance हमेशा positive में होता है.

Types Of Clearance Fit

1.Maximum Clearance Fit
2. Minimum Clearance Fit

1.Maximum Clearance Fit

अधिकतम hole size और न्यूनतम shaft साइज के अंतर को maximum clearance fit कहते है. यह हमेशा positive में होता है.

2. Minimum Clearance Fit

minimum hole size और maximum shaft size के अंतर को minimum clearance Fit कहते है. यह हमेशा negative में होता है.

Transition Fit

Clearance fit और interference fit के बीच की fitting को transition fit कहते है. इसके अतिरिक्त बहुत सी और भी फिट प्रयोग की जाती है जो निम्नलिखित है

1. Running Fit
2. Sliding or Push Fit
3. Force Fit
4. Driving Fit
5. Shrinkage Fit

1. Running Fit

Fit होने वाले parts जब एक-दुसरे के अंदर बिना किसी रुकावट के घूमते है तो उसे running fit कहते है.

2. Sliding or Push Fit

इस फिट में running fit की अपेक्षा कम clearance रखा जाता है, और fit होने वाले parts को हाथ के हल्के दबाव से fit किया जाता है.

3. Force Fit

जब shaft को बहुत मजबूती से hole में fit करना हो तो वह पर force fit का प्रयोग किया जाता है. इस फिट में shaft को hole size से कुछ बड़ा रखा जाता है, और shaft को अधिक power देकर fit किया जाता है. जैसे moter shaft etc.

4. Driving Fit

जब parts को एक-दुसरे के अंदर हथोड़े की चोट से fit किया जाता है उसे driving fit कहते है. जैसे Bush bearing व collar आदि.

5. Shrinkage Fit

इसमें hole के size को shaft के size की अपेक्षा कम रखा जाता है, और दोनों parts को assemble करने से पहले hole वाले पार्ट्स को गर्म किया जाता है. जिससे hole का diameter बढ़ जाता है. और उसमे shaft fit हो जाती है. इसके पश्चात hole वाला parts ठण्डा होने के बाद hole पार्ट्स सिकुड़ जाता है, और shaft को मजबूती से पकड़ लेता है.

What Is Interferance

Fitting में hole और shaft के बीच के negative difference या अंतर को interferance कहते है. इसमें shaft का size hole के size से बड़ा रखा जाता है.

Difference Limit And Fit System

Limit और fit की कई विधिया है. किन्तु सबसे प्रचलित निम्नलिखित तीन विधिया है जिसका उपयोग विभिन्न engineering सस्थानों में विस्तार से किया जाता है.

1. Indian Standard System - भारतीय मानक पद्धति
2. British System -  ब्रिटिश पद्धति
3. Newall System - न्युअल  पद्धति

1. Indian Standard System - भारतीय मानक पद्धति

भारतीय मानक सस्थान (I.S.I) में I.S.O यानी की indian standard organisation विधि के आधार पर I.S: 919-1959 में सशोधन करके एक नई विधि 18 दिसम्बर सन 1963 में i.s 919-1963 के नाम से प्रकाशित की गई . जिसमे limit और fit के विषय में विस्तारपूर्वक वर्णन किया गया है. इस विधि में 50mm तक की व्यास की shaft तथा hole में विभिन्न प्रकार की fits प्राप्त करने के लिए 18 basic tolerance की श्रेणीया निधारित की गई है.  जिसको IT0 to IT16 इसी प्रकार के 16 grads को शुद्धता की श्रेणीया भी कहते है. जिन्हें विभिन प्रकार की फिट प्राप्त करने के लिए 25 मोलिक विचलनो में विभाजित किया जाता है. जिनको अग्रेजी के अक्षरों द्वारा ड्राइंग में दर्शाया जाता है. Hole के लिए अग्रेजी भाषा के बड़े अक्षर A से Z,ZA,ZB और ZC प्रयोग किए जाते है. जबकि shaft के लिए अग्रेजी के छोटे अक्षर a से z, za,zb,zc प्रयोग किए जाते है.

2. British System

यह भी एक प्रकार की hole basic system है. इस system में unilateral tolerance तथा bilateral tolerance दोनों विधि में tolerance दी जाती है. इस system के अंतर्गत 21 किस्म के विभिन्न प्रकार के fit प्राप्त किए जाते है. इस system में hole को अग्रेजी के बड़े अक्षरों में A से X,Y,Z द्वारा दर्शाया जाता है. जबकि shaft को अग्रेजी के छोटे अक्षरों a से x,y,z दर्शाया जाता है. इसके अलावा इस system में से लेकर 16 grade में tolerance दी जाती है. इस प्रकार यदि shaft और hole पर tolerance माप देना हो तो आवस्यकतानुसार hole तथा shaft के चिन्ह के साथ tolerance grade का NO भी लिखा जाता है, जैसे H3 or h3

3. Newall System

इस system का आविष्कार एक newall नामक company द्वारा किया गया था जिससे दुनिया भर विभिन्न कारखानों में विभिन्न प्रकार की production में विभिन्न की fit पर दिए जाने वाले tolerance के उपर विस्तार से खोज करने के बाद 1/2" से 6' वाले hole पर tolerance का मान दिया जाता है. यह system hole basic system पर निर्भर होती है. जिस कारण किसी भी  श्रेणी में फिट को प्राप्त करने hole के साइज को स्थिर रखा जाता है. इस system में accuracy के आधार पर hole को A तथा B श्रेणी में विभाजित किया जाता है. जबकि B श्रेणी किआ प्रयोग साधारण किस्म के कार्यो के लिए किया जाता है. इस system के अंतर्गत shaft पर tolerance देखकर fit को 6 श्रेणीयों में बाटा गया है. जो निम्न प्रकार से है. Drawing पर इन fits को दर्शाने के लिए उनके समुख लिखें गए english के बड़े अक्षरों का use किया जाता है.

(i). Force Fit
(ii). Driving Fit
(iii). Push Fit
(iv). Running Fit
(v). High Speed Running Fit
(vi). Fine Running Fit

1. Basic Size

वह साइज और माप जिसको base मानकर minimum और maximum size तथा अन्य सबंधित माप को निर्धारित किया जाता है. उसे basic size कहते है.

2. Actual Size

किसी भी parts को मापने पर जो माप प्राप्त होता है उसे उस parts का actual size कहते है.

3. Zero Size

शून्य लाइन द्वारा deviation का उल्लेख किया जाता है. यह एक सीधी रेखा होती है, और basic size को represent करती है. इस रेखा के उपर limit और fits को चित्र में दिखाने के साथ-2 negative (-) deviation तथा रेखा से नीचें positive (+) deviation दिखाया जाता है.

What Is Deviation

अधिकतम अथवा actual size और basic size के बीच माप में जो अंतर होता है उसे deviation कहते है. यह दो प्रकार का होता है.

1. Upper Deviation
2. Lower Deviation

1. Upper Deviation

अधिकतम limit तथा उसके basic size के बीच के बीजगणितीय अंतर को upper deviation कहते है.
Upper deviation of the hole = ES
Lower deviation of the shaft = es

2. Lower Deviation

न्यूनतम limit तथा उसके संबधित उसके baisc size के बीच जो बीजगणितीय अंतर होता है उसे Lower deviation कहते है.

What Is Fundamental Deviation

दो deviation में से जिस किसी को शून्य line के संबधित tolerance zone की स्थिति को दिखाने के लिए fundamental deviation का use किया जाता है.

What Is Tolerance Zone

Tolerance को ग्राफ के सहारे represent करने में parts के साइज के दो limit से घिरे क्षेत्र को tolerance zone कहते है. जो की उसकी आकृति को शून्य रेखा के साथ उसकी आकृति को स्पर्श करती है.

Classification Of Fit According To isi Symbol
According to isi symbol fits are three types

1. Clearance Fit
2. Interference Fit
3. Transition Fit

1. Clearance Fit

इस fits में hole का tolerance zone, shaft के tolerance zone से उपर होता है. इस कारण hole में shaft आसानी से घुमती है. इसमें hole के  deviation के लिए सकेत चिन्ह H6,H7,H8,H9,H11 प्रयोग किए जाते है. जिनमे shaft के सकेत चिन्ह a,b,c,d,g,h निर्धारित deviation के साथ सम्पर्क में लाकर विभिन्न प्रकार की fit प्रयोग में लाई जाती है.

2. Interference Fit

इसमें भी hole के deviation के लिए सकेत चिन्ह H7,H8,H9,H11 प्रयोग किए जाते है. जिन्हें small letters p,r,s,t,u,v,y,z को shaft के deviation के साथ सम्पर्क में लाकर विभिन्न प्रकार की fit प्राप्त की जाती है. इसमें hole का  tolerance zone shaft के tolerance zone के नीचें रहता है. इसलिए shaft आसानी से फिट नही होती है.

3. Transition Fit

इस fit में भी hole के deviation के सकेत चिन्ह H6,H7,H8,H9,H11 जिन्हें shaft के सकेत चिन्ह y,l,m,n shaft के निर्धारित deviation के सम्पर्क में लाकर विभिन्न प्रकार की fit प्राप्त की जाती है. इसमें hole और shaft का tolerance zone एक-दुसरे के overlap हो जाता है. जैसे: key way

System To Give Allowance To Fit
Job की fitting के लिए allowance देने की दो प्रणाली है.

1. Hole Basic System
2. Shaft Basic System

1. Hole Basic System

इस विधि में hole का size स्थिर रखा जाता है और केवल hole को ही base मानकर allowance दिया जाता है. विभिन्न प्रकार की fit प्राप्त करने के लिए shaft के size को कम या ज्यादा रखा जाता है. और hole के size को बढ़ाया या घटाया नही जा सकता है.

2. Shaft Basic System

इस system में shaft को base मानकर allowance दिया जाता है, और विभिन्न प्रकार की fit प्राप्त करने के लिए hole के size को कम या ज्यादा किया जाता है. hole system में hole basic system अधिक प्रयोग में लाया जाता है. क्योकि shaft के size को कम या ज्यादा आसानी तथा शीघ्रता से किया जा सकता है. क्योकि सारे hole drill और reamer के द्वारा बनाए जाते है. इसलिए drill और reamer के size को कम या ज्यादा किया जा सकता है. इसलिए hole के size को शुद्ध मान लिया जाता है. Shaft basic system बहुत ही विशेष और शुद्ध कार्यो के लिए प्रयोग करते है.

Indication Method Of Fit - फिट्स को दर्शाने की विधि

व्यवसायों में तैयार की जाने वाली विभिन्न प्रकार की क्रियात्मक engineering detail तथा assemble drawing में fit को दर्शाने के लिए सर्वप्रथम hole और shaft का basic size लिखा जाता है. और उसके पश्चात hole का विचलन यानी की Deviation चिन्ह H और tolerance grade का नंबर लिखा जाता है. जबकि अंत में shaft का Deviation चिन्ह H और tolerance grade नंबर लिखा जाता है. जबकि अंत में shaft का Deviation चिन्ह के साथ tolerance grade का नंबर लिखा जाता है. जैसे उदाहरण के लिए 45 H8 g7 या 45 H8/g7 इस प्रकार fit में

45 - यह hole या shaft का common basic size है.
H - यह hole या shaft का Deviation चिन्ह है.
8 - यह hole के लिए tolerance की grade का नंबर है.

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